• २०८० जेठ २५ बिहीबार

नारी

 पूजा ‘बहार’

पूजा ‘बहार’

“शिष्टी” के जन्म देवे वाली नारी,
राम पैगम्बर के महतारी नारी,
देवता–वीर योद्धा के जननी नारी,
फेर काहे कहेला दुनिया नारी बेचारी ।

सावित्री बनके मौत के हरइनी,
लक्ष्मीबाई बनके अंग्रेज के धूल चटइनी,
त्याग की मूर्ति वात्सल्यता की प्रतिमा,
हमर बलिदान के गवाह ई दुनिया सारी ।

फेर काहे कहेला दुनिया नारी बेचारी !
सति के नाम पर जरायल गयल,
मीरा के नाम पर जÞहर पिलायाल गयल,
सीता के नाम पर अग्निपरीक्षा लिहल गयल,
पर नारी कबो कोनो चुनौती से ना हारी ।
फेर काहे कहेला दुनिया नारी बेचारी !

हम चाह ली त हवा के रुख मोड़ सकिला,
अगर जिदद पर आई जाई त
धरती के नभ से जोड़ सकिला,
लक्ष्मी, सरस्वती, चंडिका लाख रूप
हमर ई दुनिया पे भारी ।
फेर काहे कहेला दुनिया नारी बेचारी !

चलेला हमरे दम से इ जग– संसार ,
अपना के सूखा के भरले बानी
अपनन के जिनगी में पियार,
तबो दुनिया समझेला हमरा के बेकार,
पुरुष से ज्यादा बा हमरा में
सहनशीलता समझदारी ।
फेर काहे कहेला दुनिया नारी बेचारी !

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प्रेम

अनादिक्रम

फुर्सत