• २०८१ माघ ९ बुधबार

कश्मीरी लाल चावलाका दस हाइकु

कश्मीरी लाल चावला

कश्मीरी लाल चावला

हाथ बढ़ाया
जब नई दोस्ती का
चुभा खंजर

मन अकेला
यात्रा पर निकला
मानता नभ

फूल गुलाब
प्रेम का हिस्सा बना
दो दिलों बीच

चाँद डूबता
चाँदनी हो उदास
रात ना लौटी

महक रही
मातृ भूमि की माटी
देश महान

नदी का जल
पशु पक्षी नहाते
एक समान

जिस को मिले
स्वर्ग सुंदरी मौत
जीना छोडदे

धुंध के बीच
कुछ नहीं दिखता
बिना आकृति

चाँद अकेला
सागर बीच नहा
रात को आया

वर्षा हो रही
जल संगीत बजा
धरती पर


कश्मीरी लाल चावला
संपादक अदबी माला हिंदी मासिक
मुकतसर-152026 पंजाब भारत
91 98148 14791 9592100791