चलो आज कुछ मीठा हो जाए
मैं भी गाऊँ तू भी गाये
मजा आये बेपनाह
गुफ्तगू
तेरी भी तमन्ना
मेरी भी
दुखती रग
तेरे पास भी है
ये खजाना
अल्लाह ने
सब को बक्सा है
खुदा की मेहरबानी
उसकी कदरदानी
रुहानी सुहानी
कुछ उधर के
कुछ इधर के
किस्से सुनायें
गजल गुन्गुनायें
गल्तीयों से जुदा
तू भी नहीँ
मैं भी नहीँ
हम दोनो हैं इन्सान
खुदा
तू भी नहीँ
मैं भी नहीँ
किसी शायर का कलाम है ये
तेरे लिये सलाम है ये
मेरे दोस्त
मेरे भाई
मेरो अजीज
मेरे हमदर्द
अब कोई किरदारी नहीँ
अब कोई नाटक नहीँ
अब जो भी होगा
खुल्लमखुल्ला
कुछ छुपाना नहीँ है
कोई साजिश नहीँ
न जफा
न घात
न धोखा
वफा ही वफा
वेवफा से भी
नफरत को भी प्यार माना
रकिब को भी यार माना
धूप को भी छावँ समझा
शहर को अपना गावँ समझा !
कितना नादान थे हम
आर्जव ही थे
वही रहे
जुल्म पर जुल्म सहे !
मेरे यार
हम आह भर के भी बदनाम हो जाते है
लोग कत्ल करते है और चर्चा तक नहीँ होता !
किसी ने कहा
लेकिन हम ने भुक्ता
मेर भाई
जिन्दगी एक सफर ही तो है
आखिर जाना ही तो है
कल एक गया
आज एक
बुरा हो या नेक
जाना तो है ही
गलत को सही मत कहो
सही को गलत मत समझो
उलट पुलट हो गया रे !
अब खाने को जूते नहीँ
और पहननेको चावल नहीँ
कपिल के अपिल मेहमान की बात
ये दुनियाँ
न तेरी न मेरी
कोई किसी का नहीँ रे !
सब का सब बेगाने
अन्जाने
शबब ही शबब पुछने आये है
मेरी उदासी का
घाव देते है
और मरहम लेकर आते है
रोटी छिना
और पुछा
भुखा है क्या तू ?
पानी भी छिन ली
और पूछे
प्यासा है क्या ?
जहर दे कर कहेङ्गे
तुम को हमारी उमर लग जाये !
इस जहाँ का रीत निराला
सफेद चेहेरे से, दिल काला
गाले का तिल
अरे जालिम, है बढी कातिल !
दर्द से ही नाता जोडा
दर्द ने ही हम को नहीँ छोडा !
गुफ्तगू
दर्द से ही करते है
जिन्दगी हैसिलिये तो दर्द है
दर्द है इसिलिये तो जिन्दगी है !
दर्द से ही ईश्क हुवा है
दर्द से ही प्यार
दर्द का दीदार
दर्द का इन्तजार !
आगाज दर्द से
अन्जाम भी दर्द
दर्द ही दवा है मेरा
मेरे दर्द, तुझे सलाम !
तुझे सलाम !
दर्द के नाम ही ये कलाम !
धनराज गिरी