• २०८१ फागुन ३ शनिवार

नारी

रुपा झा

रुपा झा

शक्ति स्वरूपा हे जननी तुम
सीखो आत्मनिर्भर होना
ढूंढो मार्ग प्रगति करने की
अपनी शक्ति को साबित कर
रहो ना तुम कुंठित होकर
चुनौती हर स्वीकार कर

अपनी पहचान तुम खुद बनाओ
पराश्रीत होना कोई विकल्प नहीं
अपनी शक्ति को पहचानो
उपभोग का सिर्फ तुम समान नहीं
अपनी सोच समझ को बदलो
शक्ति स्वरूपा नारी हो तुम
स्वाभिमानी बनना है तुमको
आज ध्वजा फहराओ तुम ।


रुपा झा
विराटनगर नेपाल