मुक्तक

माना कि प्रेम अविवाहित
या विवाहित नहीं जानता
ना ही उम्र देखता है
ये एक ऐसी बीमारी है जो
अमूमन हर किसी को
किसी न किसी
अवस्था में हो ही जाता है
लेकिन तुम हमेशा बचना
एक विवाहित स्त्री
के प्रेम में पड़ने से
अगर कभी तुम्हारा झुकाव
उस ओर हो भीजाये तो
अपनी भावनाओं पर
नियंत्रण कर लेना
अपने प्रेम के लिये तुम
दो परिवारों को मत उजाड़ना
नाही एक स्त्री को कलंकित
होने देना समाज के सामने
हमारा समाज कभी
स्वीकार नहीं करेगा
एक स्त्री का पति के
अलावा किसी गैर
पुरूष से प्रेम
दफ़न कर देना
तुम अपने सीने में
प्रेम के प्रस्फुटित होते बीज को
उस बच्चे के निश्छल मुस्कान
को देखकर
जो बस तुम्हारे प्रेम के कारण
कोसे जायेंगे समाज के द्वारा ।
गुडिया यादव
पूर्णिया, बिहार, भारत