• २०८१ भाद्र २७ बिहीबार

अब आए या न आए

साहिर लुधियानवी

साहिर लुधियानवी

अब आए या न आए इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो

हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ
यारो ! कोई तो उनकी ख़बर पूछते चलो

जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं
उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो

किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
ऐ रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो


साहिर लुधियानवी