ख़ूबसूरत पुलिस ऑफ़िसर सुनयना ने आज वर्षो बाद जैसे ही सुनील को उसकी पत्नी के हाथ मे हाथ डाले देखातो अपने निर्दयी अतीत को याद कर अत्यंत क्रोधित सी हो गयी ।
आठ वर्ष पूर्व अपने प्रियतम सुनीलसे शादी के कार्ड को देखकर सुनयना खुशी से नाच रही थी, कालेज के सहपाठी व सुनयना पर दिलोजान से फिदा सुनील के साथ उसका विवाह जो हो रहा था… जनम जनम साथ निभाने के वादे जो पूरे होने को थे ।
आज वह शुभदिन आ ही गया फरवरी की चौबीस तारीख सुनयना व सुनील के जीवन के सबसे बेहतरीन नए बसन्त को लाने वाली थी “बारात आ गयी” मन ही मन खुशी से फूली न समा रही सुनयना को एक एकपल काटना मुश्किल पड़ रहाथा ।
जयमालाकी रस्म हर्ष पूर्वक सम्पन्न हो गयी थी, अब जन्म जन्म निभाने को सात फेरों के बंधनकी बारी आ गयी,, तभी सुनील के पिता नारायण दत्तजी ने सुनयना के पिता रविदत्तजी से कोने में ले जाकर कहा देखिये जी वो दहेज के वादे के अनुसार आप अभीभी पांच लाख रुपये पूरे नही कर पाए अतः पैसे पूरे कर दीजिए तभी फेरे पड़ेगें । सुनयना के पिता हाथ जोड़ने लगे उनके पैर गिर गए, समधी जी आगे एक एक पैसा चुका दूंगा अभी किसी तरह शुभकार्य सम्पन्न हो जाने दीजिए मेरी इज्जत का सवाल है ।
लेकिन सुनील के पिता अत्यंत निर्दयता से कठोरता पूर्वक फेरे की रस्म को तब तक मना कर दिया जब तक दहेज़की रकम पूरी न मिल सके, वह सोच रहे थे कि ये लोग इज्जत जाने के डर से कैसे भी पूरा पैसा देंगे ही देंगे इनकी लड़की जो फँसी है मेरे बेटे की दीवानी ।
तभी अचानक सुनयनाने अपने भावी ससुर के समक्ष पिता को रोते गिड़गिड़ाते देख लिया, वह तुरन्त वहाँ आ गयी और दोस्तों में घिरे सुनील को बुलाने का इशारा किया । सारी स्थिति जानने पर सुनयना ने सुनील से ये शिकायतकी, कि अपने पिता को समझाइए परन्तु सुनील ने अपने पिता का विरोध करने से मना कर दिया और कहा कि मैं उनकी मर्जी के बगैर विवाह कैसे कर सकता हूँ ।
बस फिर क्या था सुनयना के अंदर की मासूम प्रेमिका मर गयी और बन गयी महाकाली । तुरन्त ही स्वार्थी सुनील व उसके लालची पिता को पूरी भीड़ के आगे फटकार लगाकर कहा कि मैं इस निर्दयी रिवाज़ का खंडन करती हूँ और तुम जैसे घटिया प्रेमी का परित्याग । उसने पुलिस के हवाले करने की धमकी दी, तब पुलिस के डर से वे लोग माफी मांगने लगे व विवाह को तैयार भी हो गए, परन्तु स्वाभिमानी सुनयना ने उन्हें पुलिस के जिम्मे तो नही किया लेकिन विवाह करने से स्वयम इनकार कर बेज्जत करके भगा दिया ।
श्रीमती सुषमा दीक्षित शुक्ला
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