• २०८२ भाद्र २९, आईतवार

तुम्हारे नामकी खुशबू

अनुराधा ओस

अनुराधा ओस

तुम्हारे नामकी खुशबू
हवाओं में बिखरती है
रहूँचाहे जहाँभी मैं
हवा के संग चलती है

कभी बादल कभी झरना
कभी फूलों में रहती है
अंधेरी रात में हरदम
मशालों सी चमकती है
तुम्हारे-

कभी मंदिर कभी मस्जिद
कभी दीपक में रहती है
करूं जो बंद आँखे तो
कोई ज्योती चमकती है ।।


अनुराधा ओस, मिर्जापुर, भारत
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