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साँचो देव- पंचतत्व- जल, थल, नभ, पवन, अगन,
इण सब की पूजा को पर्व ह छट ।
करै उपासना नर नारी तन, मन, विचारां का विकार सूं परै हट ।
दिखाओ, अभिमान जि में नही दूर दूर तक होव प्रकट ।
मेलमिलाप भाईचारा को सन्देश देवै, मिलावै सब का घट ।
एक रवि नै एक साथ ध्यावै राजा, प्रजा, नीच, उंच, गोरा, काला सब वर्ग एक घाट, एक संग ।
नही ऐब कोई करै सब की इच्छा पूरी
जद ई तो भक्त हो रह्या इण कै प्रेम में रत ।
उगता सूरज न तो हर कोई नमन करै
पण यो त्यौहार इसो जो सिखाव डुबता कै आगै होणो नत ।।
इन्दु तोदी, -कवयित्री, (स्वतन्त्र लेखन, अध्यक्ष, नेपाल अग्रवाल महिला मंच, धरान, नेपाल)
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