• २०८१ चैत ६ बिहीबार

आशादीप

सुषमा दीक्षित शुक्ला

सुषमा दीक्षित शुक्ला

आओ आशा दीप जलाएं
अंधकार का नाम मिटायें ।
आओ आशा दीप जलाएं ।
अंधकार का नाम मिटायें ।

रूह जलाकर जिंदा रहना ।
जीवन की तो रीत नहीं
अंतिम हद तक आस न खोना,
मानव मन की जीते यही ।

फूलों से महकें महकाएं ।
खुशियां दोनों हाथ लुटाएं ।
आओ आशादीप जलाएं ।
अंधकार का नाम मिटायें ।

सूखे पत्तों से झड़ जाते,
इक दिन दुःखों के साए ।
मीत हृदय को धीरज देना,
पतझड़ ही मधुमास बुलाए

सूरज से चमके चमकाएं ।
जीवन का इक राग सुनाएं ।
आओ आशा दीप जलाएं
अंधकार का नाम मिटायें ।

खुद से कभी न रूठो मितवा,
कोई कितना तुम्हें सताए ।
नदियों जैसे बहते रहना
कोई कितनी रोक लगाए ।

खुशियों की सौगात सजाएं ।
दर्द दिलों के रोज मिटायें ।
आओ आशा दीप जलाएं ।
अंधकार का नाम मिटाएं ।

जीवन को हंसकर के जी लो,
आओ उठकर भागो दौड़ो ।
गम की बातें यार भुला दो,
बीत गया वो पीछे छोड़ो ।

आओ सब मिल नाचे गायें ।
खुशियों की बारात सजाएं ।
आओ आशा दीप जलाएं ।
अंधकार का नाम मिटायें ।


सुषमा दीक्षित शुक्ला, आलमनगर, राजाजीपुरम, लखनऊ, उ. प्रदेश
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