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छमछम छमछम नाची है बरखा
झम झम बरसे रे पानी
देखो मिलन की रूत आयी है
लिखने को प्रेम कहानी ।
मधुबन भी है मदहोशी में डूबा
नाचे है मोर दीवाना
पागल पपीहा पिऊ पिऊ बोले
भौंरे ने छेड़ा तराना ।
सावन पर भी यौवन है छाया
गाती है गीत दीवानी
छम छम छम छम नाची है बरखा
झमझम बरसे रे पानी
देखो मिलन की
कुहू कुहू राग सुनाये कोयलिया
याद सताये रे साजन की
मन मोरा गीला तन मोरा भीगा,
भीगी चुनरिया दामन की ।
मौसम नशीला है गीला गीला,
कलियों ने ओढ़ी जवानी
छमछम छमछम नाची है बरखा,
झमझम बरसे रे पानी
देखो मिलन की
सुषमा दिक्षित शुक्ला, राजाजीपुरम, लखनऊ, भारत
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