• २०८१ असोज २८ सोमबार

कौन पुछेगा ?

लोक जोशी

लोक जोशी

तुम कौन हो ?
क्यु हो ?
कौन पुछेगा ?
कितने रातोँको सोए नहिँ है,
कौन पुछेगा ?

दरियामे गिरने था जब
माँ हि थि जिसने हात पकडा था,
वहाँ उधर गएथे क्यु तुम, कौन पुछेगा ?
भुख नहि लगती अब नजाने क्यु,
आखिरी बार कब खाया था, कौन पुछेगा ?
हसरहे है या रो रहे है, कौन पुछेगा ?
अकेला आया था मगर खयालामेँ  बसा लिया था,
वोह कौन था, कौन पुछेगा ?
उन वादोँको याद करते करते दिन गुजर जाता है,
शामको क्या करते हो, कौन पुछेगा ?
इस दुनियासे छुपाकर एक कहानी लिख रहाथा,
उस कहानीमे कौन था, कौन पुछेगा ?
इश्क और दरिया एक हि लगते है मुझको अब,
मुझसे इश्क कब हुवा, कौन पुछेगा ?
अकेले आइना देखकर खुब रोताहुँ,
ये नदिया क्युँ बरसती है, कौन पुछेगा ?
आज किसिको किसिके लिए वक्त होगा भि सायद
आखिर जाता कहाँ है ये कमबख्त, कौन पुछेगा ?
याद करोगी मुझे खोनेके बाद,
गया कहाँ हु मै, कौन पुछेगा ?
बस एक ऐसा काम करुँ
कि माँ का बेटा बन जाउँ
और किसको यादहुँ मै,
कौन पुछेगा ?


लोक जोशी
[email protected]