मीठी सी मुस्कान से
जब थामा था तुमने हाथ मेरा
तुम्हारी उस मंद मुस्कान में
तुम्हारी कसम
मैं दिल हार गयी थी…
लहर सी उठी थी मन में
रंग गयी थी चटक रंग में
एक हल्के से स्पर्श से
तुम्हारी कसम
मैं दिल हार गई थी…
सुनो प्रिय !
तब तुमने
नयन भर निहार कर
भिगो कर गहरे प्रेम में
पहनाई थी जब मुंदरी
हौले से मेरा हाथ थाम के
तुम्हारी कसम
मैं दिल हार गई थी…
उस पल की आसक्ति में
बँधी हूँ मैं तुमसे आज तक
और बंधी रहूंगी
अंतिम साँस तक,
क्यों कि
तुम्हारी कसम
मैं दिल हार गई थी…
शायद तुम भी तो
अपरचित नहीं
उस हृदय स्पर्शी छुअन से
जब तुम भी मुझ पर
और मैं भी तुम पर
ये दिल हार गई थी
सुनो प्रिय !
मैं ये दिल हार गई थी ।
(हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर पटेल हिन्दी की चर्चित कवयित्री हैं ।)
[email protected]