• २०८१ फागुन १ बिहीबार

बंटवारा

नरेश अग्रवाल

नरेश अग्रवाल

बंटवारे में सभी धन लेना चाहते थे
लेकिन माता-पिता की जिम्मेवारी नहीं

बच्चे बहस करते रहे
अपनी-अपनी समस्याएं रखते रहे
फैसला हर बार रुक जाता था
माता-पिता की देख-रेख पर आकर

तराजू में एक तरफ माता-पिता थे
दूसरी ओर अपार धन
न्यायालय घर था और न्यायाधीश बच्चे

सभी को धन चाहिए था
लेकिन बुढ़ापे का भार नहीं
बात वृद्धाश्रम में रखने तक पहुंच गयी
इसलिए फैसला टल गया

बच्चे काम पर चले गए
बुढ़ापा फिर से
अच्छे समय का इंतजार करने लगा !


(जमशेदपुर, झारखंड निवासी अग्रवाल का कविताओं पर १० पुस्तकें तथा अन्य विषयों पर ८ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ।)
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