धरती पर जब जल होगा
खुशियों भरा हर पल होगा
पृथ्वी पर सत्तर प्रतिशत जल
हममें भी सत्तर प्रतिशत जल
सारी प्रकृति जल से निर्मित
हर धर्म- कर्म में जल अर्पित
धरती की प्यास बुझाता जल
जल से ही मिलती हमें फसल
पौधे जब पीते हैं यह जल
तब देते मीठे- मीठे फल
मछली रानी का घर है जल
देखो उसकी छलमल- छलमल
गर्मी जब प्यास बढाती है
सब जीव- जन्तु होते बेकल
तब वर्षा रानी आती है
झम- झमकर जल बरसाती है
ईश्वर का तोहफा है यह जल
इसे बचाएं हम सब मिल
जरुरत भर खर्च करें हम जल
तभी सुरक्षित होगा कल
कचरा- प्लास्टिक न बहाएं हम
प्रदूषण मुक्त बनाएं हम
संरक्षित करें हम वर्षा जल
न हो भावी पीढ़ी से छल
आज हो लें सचेत जो हम
सुरक्षित हमारा कल होगा
सुंदर- सुखद सब पल होगा
प्रदूषण का यही हल होगा
जल से ही आनंदित माँ
प्रकृति का मुखमंडल होगा ।
प्रियांशी, मुंबई, महाराष्ट्र भारत