कसौटी पर तुम्हें पहले कसेंगे
तभी फिर बातें भी अपनी कहेंगे
इरादा तो नहीं था मुस्कुराएं
मगर कब तक दुखों को भी सहेंगे
सफर में था कहाँ कोई हमारा
अकेले थे अकेले ही रहेंगे
जिन्हें चलने की आदत हो गई है
वही वीरान रस्ते पर चलेंगे
उन्हें कल लौटना मुश्किल पड़ेगा
हवा के साथ जो मिलकर बहेंगे ।
आशीष कंधवे, दिल्ली भारत