समाचार

अमृत है तेरा निर्मल जल
हे ! पावन गङ्गे मइया ।
हम सब तेरे बालक हैं
तुम हम सबकी प्यारी मइया ।
हे ! मां सब के पाप मिटा दो
तुम पाप नाशिनी मइया ।
अब सारे दुःख क्लेश मिटा दो
हे ! पतित पावनी मइया ।
भागीरथ जी के तप बल से
तुम आई धरणि पर मइया ।
शिवशंकर के जटा जूट से
प्रगट हुई मेरी मइया ।
हे ! जान्हवी हे ! मोक्ष दायिनी
अब पार लगा दो नइया ।
सगर सुतों को तारण वाली
भव पार लगा दो मइया ।
इस धरती पर खुशहाली
तुमसे है गङ्गे मइया ।
आंचल तेरे जीना मरना
हम सबका होवे मइया ।
मां शरण तुम्हारी आयी
हे ! मुक्ति दायिनी मइया ।
हम सब तेरे बालक हैं
तुम हम सबकी गङ्गे मइया ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला, राजाजीपुरम, लखनऊ, उ. प्र. भारत
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