एयरपोर्ट के वेटिंग रूम में
जब तुम आखिरी बार
मिलने आई थी मुझे
तब
सब कुछ बिखर रहा था
कैसे समेटूं,
कैसे सम्भालूं खुदको
कुछ समझ नहीं आ रहा था।
केवल तुम्हीं मुझे
अन्दर तक
गहराई से समझती थीं ।
जैसे एक नाविक
समुद्र की लहरों को
जानता, पहचानता हो ।
तुमने मेरा उदास चेहरा
अपने हाथों में लेकर कहा था
छोड़ दो पीना
मेरे बाद कोई ध्यान
नहीं रखेगा तुम्हारा
और मुझे
अपने गले लगालिया था
भीतर कितना कुछ
टूटने लगा था
दर्दका इक सैलाब
उमड़ आया था ।
जाते वक्त तुमने कहा था
नहीं छोड पाओगे पीना तुम
में जानती हूँ
पर थोडी पीना ।
भूल जाना मुझे ।
कभी दुःखी न होना ।
और
बिना पलट कर देखे
चली गई थी तुम ।
डा. बिशन सागर, जालन्धर, पञ्जाव, भारत निवासी डा. बिशन सागर चर्चित कवि है ।
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