मिल्खा जैसे उड़ते फौलाद
कलाम जैसे महान औलाद
बोस जैसे महान नायक
हिटलर जैसे मानवता के खलनायक
छोड़ा नहीं किसीको समय ने
जाना पड़ा अपनो को छोड़
तुझे किस बात का हैं घमंड
छोड़ अकढ, अपना रास्ता मोड़ ।।
बुद्ध जैसे महान आत्मा
कबीर दासजी जैसे महात्मा
मीराँबाई ने छोड़ी दुनिया सारी
लक्ष्मीबाई जैसी पराक्रमी नारी
किसीको न आया गुमान
तू तो एक साधारण जीव
फिर भी तुझमे इतनी अभिमान
छोड़ आकड़ बन सच्चा इंसान ।।
माँ न देती साथ तुझे
पिताका न मिलेगा हाथ तुझे
जिसको कहता है तू अपना
वो बस मन का झूठा सपना
छोड़ दे सारी अहंकार
बनके दिखा दुनियाका यार
कर न कभी खुदपर गुमान
टूट जाएगा सारा अभिमान
खोल आँख, देख चारों और
छोड़ अकड़ बन सच्चा इंसान ।।
लोकनाथ शर्मा, तिनसुकिया, असम, भारत
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