• २०८१ पौष २८ आइतबार

दिल ए दास्तान सुना कर जाइए

 सुरेखा शर्मा

सुरेखा शर्मा

क्यों खफा हो जरा हमें बता कर जाइए,
दिल ए दास्तान सुना कर जाइए,

क्या खता की है हमने जरा बताइए,
यूं अपनों को गैर ना बना कर जाइए,

कल मुलाकात हो ना हो इतना सुनते जाइए,
फलसफा मोहब्बत का जरा हमें भी सिखाइए,

क्या मानते हो दोस्त हमें जरा बताइए,
दोस्ती के जज्बात दिल में छुपाकर न जाइए,

मौत के आगोश में नेहा कब चली जाए,
दोस्ती को दिल से जरा निभा कर जाइए,

याद आएगी नेहा बहुत रुखसती के बाद,
कभी तो इश्क ए शमां जलाकर जाइए,

क्यों खफा हो जरा हमें बता कर जाइए,
दिले ए दास्तान सुना कर जाइए ।।
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(समाजिक अभियंता, मेरठ, उत्तरप्रदेश भारत)
Sharma [email protected]